लखनऊ, शनिवार १७ तथा रविवार १८ नवम्बर २०१८ को अभिव्यक्ति विश्वम द्वारा ओमैक्स सिटी (शहीद पथ) में स्थित गुलमुहर ग्रीन स्कूल के भव्य सभागार में नवगीत महोत्सव का सफल आयोजन किया गया। यह उत्सव नवगीत की पाठशाला तथा नवगीत के अन्य वैचारिक मंचों से जुड़े युवा सदस्यों को एक मंच पर लाकर उन्हें प्रतिष्ठित नवगीतकारों से मिलवाने, नवगीत पढ़ने और लिखने की समझ विकसित करने, स्तरीय शोध निबंधों को मिलकर पढ़ने उन पर चर्चा करते हुए नवगीत की समझ को व्यापक आयाम देने, नवगीत को मीडिया के विभिन्न माध्यमों के साथ जोड़कर प्रस्तुत करने तथा बैद्धिक वैमनस्य से अलग निष्ठापूर्वक कार्य करने वाले बुद्धिजीवियों को एक मंच से जोड़ने के लिये जाना जाता है।
महोत्सव का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष मंगलदीप जलाकर हुआ। इसके बाद सभी ने संस्था की कलादीर्घा में नवगीतों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन किया जिसमें 'रंग-प्रसंग'-२०१८ के अंतर्गत सर्व श्री बालगोपालन, अमित कल्ला एवं विजेंद्र विज द्वारा संयोजित कला-कार्यशाला के चित्र भी प्रदर्शित किये गए थे। रंग प्रसंग-२०१८ नामक इस प्रदर्शनी में संयोजक कलाकारों के अतिरिक्त अभिलाषा सिंह, अंकुर राणा, मनीष कुमार राव, पंकज मानव, प्रशांत कलीता, राजेश श्रीवास्तव, राजवंत राज, संजय राजपूत, शांतनु दे और संगीता मनराल ने भाग लिया। नवगीतों पर आधारित फोटो कोलाज में राजेन्द्र गौतम, कुमार रवीन्द्र, कृष्णानंद कृष्ण, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, नईम, राधेश्याम बंधु, अश्वघोष, मयंक श्रीवास्तव, कल्पना रामानी, यश मालवीय, अवनीश सिंह चौहान, गुलाब सिंह, सुवर्णा शेखर, श्रीकृष्ण शर्मा, रोहित रूसिया, रमाकांत, विनोद निगम और धनंजय सिंह के नवगीतों पर आधारित फोटो कोलाज प्रदर्शित किये गए थे।
महोत्सव के प्रथम सत्र में नवगीत की पाठशाला से जुड़े नये रचनाकारों द्वारा अपने दो दो नवगीत प्रस्तुत किये गये। नवगीत पढ़ने के बाद प्रत्येक के नवगीत पर वरिष्ठ नवगीतकारों द्वारा टिप्पणी की गई, इससे नये रचनाकारों को अपनी रचनाओं को समझने और उनमें यथोचित सुधार का अवसर मिलता है। इस सत्र में बसंत कुमार शर्मा, अविनाश ब्यौहार, विशाल मिश्र समर्पित तथा दीपक अवस्थी ने अपने गीतों का पाठ किया जिस पर विस्तृत चर्चा की सुभाष वसिष्ठ, रामसनेहीलाल शर्मा यायावर, आचार्य संजीव वर्मा सलिल और मधुकर अष्ठाना जी ने। अंत में धीरज
मिश्र ने अपने नवगीतों का पाठ किया।
दूसरे सत्र में वरिष्ठ नवगीतकारों द्वारा अपने प्रतिनिधि नवगीतों का पाठ किया गया ताकि नये रचनाकार नवगीतों के कथ्य, लय, प्रवाह, छन्द आदि को समझ सकें। नवगीत पाठ के बाद सभी को प्रश्न पूछने की पूरी छूट दी गई जिसका लाभ नवगीतकारों ने उठाया। इस सत्र में सर्व डॉ रामसनेहीलाल शर्मा यायावर (फिरोजाबाद), सुभाष वसिष्ठ (दिल्ली), मधु प्रधान (कानपुर) संजीव वर्मा 'सलिल' (मंडला, म.प्र.), रविशंकर मिश्र (रायबरेली), शुभम श्रीवास्तव ओम (मीरजापुर), शीलेन्द्र सिंह चौहान, रविशंकर पांडेय, राममूर्ति सिंह अधीर, संध्या सिंह, रंजना गुप्ता, राजेन्द्र शुक्ल राज, मधुकर अष्ठाना, (लखनऊ) ने अपने प्रतिनिधि नवगीतों का पाठ किया।
तीसरा सत्र नवगीतों पर आधारित संगीत संध्या का था जिसमें लखनऊ से सम्राट राजकुमार के निर्देशन में विभिन्न कलाकारों ने नवगीतों की संगीतमयी प्रस्तुति की। प्रमुख स्वर रहे आरती मिश्रा, पल्लवी मिश्रा, सुजैन, चंद्रकांता चौधरी, उमेश कश्यप, नेहा कश्यप और कुश के। जिन नवगीतकारों के गीत इसमें शामिल किये गए उनके नाम हैं- रविशंकर रवि, शुभम श्रीवास्तव ओम, माघव कौशिक, तारादत्त निर्विरोध, शांति सुमन और पूर्णिमा वर्मन। सम्राट राजकुमार ने गिटार, कुश मिश्रा ने की-बोर्ड और अमित प्रसाद ने विंड चाइम और कोहौन पर संगत की। कार्यक्रम के बाद देव और दिव्य आहूजा के ड्रम वादन ने सबका खूब मनोरंजन किया।
दूसरे दिन का पहला और कार्यक्रम का चौथा सत्र अकादमिक शोधपत्रों के वाचन का था। पहला शोधपत्र- 'नवगीतों में प्रबंध काव्य की संभावना' डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा यायावर ने पढ़ा। दूसरा शोधपत्र भावना तिवारी जी द्वारा दिल्ली एवं आसपास के नवगीतकार शीर्षक से प्रस्तुत किया गया। दोनों आलेख सरस, रोचक और ज्ञानवर्धक रहे। तीसरा शोध पत्र पंकज परिमल द्वारा प्रस्तुत किया गया। शीर्षक था- 'नवगीतों में भाषा' यह शोधपत्र नवगीतों में भाषा के भदेस होने की चिंता पर केंद्रित था। चौथा शोधपत्र डॉ. सुभाष वसिष्ठ ने पढ़ा जिसका विषय था- नवगीतों में मध्यम वर्ग का संघर्ष। सत्र में विमर्श और संवाद को पर्याप्त विस्तार मिला। अनेक सहमतियों और कुछ एक असहमतियों के बीच यह सत्र अपनी सफलता के साथ परिपूर्ण हुआ।
पाँचवा सत्र समीक्षा का था। इसका प्रारंभ आचार्य संजीव सलिल ने अपने वक्तव्य - नवगीत के बदलते प्रतिमान से किया। इस शोध पत्र पर अच्छा विमर्श हुआ। बदलाव कैसा और कितना, लोक तत्व, भाषा, शैली, छंद और व्याकरण सभी के विषय में चर्चा हुई। रविशंकर मिश्र रवि के नवगीत संग्रह संदर्भों से कटकर तथा आचार्य संजीव सलिल के नवगीत संग्रह सड़क पर का विमोचन हुआ। यह बहुत ही सुख का विषय रहा कि इन दोनो ही संग्रहों की पांडुलिपियों को क्रमशः वर्ष २०१८ और २०१५ में अभिव्यक्ति विश्वम के अंतरराष्ट्रीय नवगीत पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके बाद वर्ष २०१८ में प्रकाशित नवगीत संग्रहों पर आचार्य संजीव संजीव सलिल ने अपना आलेख पढ़ा।
छठे सत्र में रविशंकर मिश्र रवि को अभिव्यक्ति विश्वम् के अंतरराष्ट्रीय नवांकुर पुरस्कार-२०१८ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जाता है, जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। पुरस्कार में ११०००/- भारतीय रुपये, एक स्मृति चिह्न और प्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार उपस्थित अतिथियों, नवगीतकारों एवं नवगीत समीक्षकों की उपस्थिति में प्रदान किया गया।
पुरस्कार वितरण के बाद काव्य सत्र में ज्ञानप्रकाश आकुल, शीला पांडे, त्रिलोचना कौर, रामशंकर वर्मा, मंजुल मंजर, दिनेश त्रिपाठी शम्स, डॉ. प्रदीप शुक्ल, अनिल कुमार वर्मा, डॉ. अनिल मिश्रा, पंकज परिमल, भावना तिवारी और पूर्णिमा वर्मन ने अपने अपने नवगीतों का पाठ किया। अंत में सामूहिक फोटो लिया गया।