नवगीत समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। गीतिका वेदिका द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना के उपरान्त पूर्णिमा वर्मन की माता जी श्रीमती सरोजप्रभा वर्मन और नवगीत समारोह के सदस्य श्रीकान्त मिश्र कान्त को विनम्र श्रद्धांजलि देकर उनकी स्मृतिशेष को नमन किया गया। विभिन्न नवगीतों पर रोहित रूसिया, विजेन्द्र विज, अमित कल्ला और पूर्णिमा वर्मन द्वारा बनायी गयी नवगीतों पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी को सभी ने देखा और सराहा।
प्रथम सत्र में नवगीत की पाठशाला से जुड़े नये रचनाकारों द्वारा अपने दो दो नवगीत प्रस्तुत किये गये। नवगीत पढ़ने के बाद प्रत्येक के नवगीत पर वरिष्ठ नवगीतकारों द्वारा टिप्पणी की गई इससे नये रचनाकारों को अपनी रचनाओं को समझने और उनमें यथोचित सुधार का अवसर मिलता है। गीतिका वेदिका के नवगीतों पर रामकिशोर दाहिया ने टिप्पणी की, शुभम श्रीवास्तव ओम के नवगीतों पर संजीव वर्मा सलिल ने अपनी टिप्पणी की, रावेन्द्र कुमार रवि के नवगीतों पर राधेश्याम बंधु द्वारा टिप्पणि की गई, इसी प्रकार रंजना गुप्ता, आभा खरे, भावना तिवारी और शीला पाण्डेय के नवगीतों पर क्रमशः डा० रणजीत पटेल, गणेश गम्भीर, मधुकर अष्ठाना एवं राधेश्याम बंधु द्वारा टिप्पणी की गई।
इस मध्य कुछ अन्य प्रश्न भी नये रचनाकारों से श्रोताओं द्वारा पूछे गये जिनका उत्तर वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा दिया गया। प्रथम सत्र के अन्त में डा० रामसनेही लाल शर्मा यायावर ने नवगीत की रचना प्रक्रिया पर विहंगम दृष्टि डालते हुये बताया कि ऐसा क्या है जो नवगीत को गीत से अलग करता है। डा० यायावर ने अपनी नवगीत कोश योजना की भी जानकारी देते हुए बताया कि वे विश्व विद्यालय अनुदान आयोग की अति महत्त्वपूर्ण योजना के अन्तर्गत नवगीत कोश का कार्य शुरू करने जा रहे हैं जो लगभग एक वर्ष में पूरा हो जाएगा।
इस मध्य कुछ अन्य प्रश्न भी नये रचनाकारों से श्रोताओं द्वारा पूछे गये जिनका उत्तर वरिष्ठ रचनाकारों द्वारा दिया गया। प्रथम सत्र के अन्त में डा० रामसनेही लाल शर्मा यायावर ने नवगीत की रचना प्रक्रिया पर विहंगम दृष्टि डालते हुये बताया कि ऐसा क्या है जो नवगीत को गीत से अलग करता है। डा० यायावर ने अपनी नवगीत कोश योजना की भी जानकारी देते हुए बताया कि वे विश्व विद्यालय अनुदान आयोग की अति महत्त्वपूर्ण योजना के अन्तर्गत नवगीत कोश का कार्य शुरू करने जा रहे हैं जो लगभग एक वर्ष में पूरा हो जाएगा।
तीसरे सत्र में सम्राट राजकुमार के निर्देशन में विभिन्न कलाकारों ने नवगीतों की संगीतमयी प्रस्तुति की। गिटार पर स्वयं सम्राट राजकुमार, तबले पर सिद्धांत सिंह, की बोर्ड पर मयंक सिंह और ढोलक पर अरुण मिश्रा ने संगत की। कार्यक्रम का आरंभ आशीष और सौम्या की गणेशवंदना से हुआ। गीतिका वेदिका, श्रुति जायसवाल एवं अन्य कलाकारों द्वारा नवगीतों पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। संगीत के कार्यक्रम में प्रतिमा योगी के स्वर में तारादत्त निर्विरोध का गीत 'धूप की चिरैया' बहुत ही कर्णप्रिय रहा। पूर्णिमा वर्मन के गीत चोंच में आकाश और मंदिर दियना बार को क्रमशः ममता जायसवाल और मयंक सिंह ने स्वर दिया। रोहित रूसिया के स्वर में नईम का गीत चिट्ठी-पत्री और स्वयं उनका गीत 'उड़ गई रे' भी बहुत पसंद किया गया। रोहित रूसिया ने अपनी विशिष्ट सरस शैली में गायन से यह सिद्ध कर दिया कि नवगीतों की प्रस्तुति कितनी मनमोहक और प्रभावशाली हो सकती है। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण सुवर्णा दीक्षित द्वारा नरेन्द्र शर्मा के गीत नाच रे मयूरा पर आधारित कत्थक नृत्य रहा। नवगीत पर आधारित कत्थक का यह संभवतः पहला प्रयोग था। इसके बाद अमित कल्ला तथा विजेन्द्र विज़ द्वारा निर्मित नवगीतों पर आधारित लघु फिल्में भी दिखायी गईं।
पाँचवा सत्र २०१४ में प्रकाशित नवगीत संग्रहों की समीक्षा पर केन्द्रित सत्र रहा। इस सत्र का उद्देश्य साल भर में प्रकाशित नवगीत संग्रहों-संकलनों का लेखा जोखा करना तथा उपस्थित श्रोताओं में उनका परिचय प्रस्तुत करना होता है। साथ ही इसमें नवगीत संग्रहों का लोकार्पण भी होता है। डॉ. जगदीश व्योम द्वारा संचालित सत्र में उन २४ नवगीत संग्रहों का उल्लेख किया जिनका प्रकाशन २०१४ में हुआ था इसके बाद रजनी मोरवाल के नवगीत संग्रह "अँजुरी भर प्रीति" पर कुमार रवीन्द्र की लिखी गई भूमिका को ब्रजेश नीरज ने प्रस्तुत किया। जयकृष्ण राय तुषार के नवगीत संग्रह "सदी को सुन रहा हूँ मैं" पर शशि पुरवार ने समीक्षा प्रस्तुत की, अश्वघोष के नवगीत संग्रह "गौरैया का घर खोया है" तथा राघवेन्द्र तिवारी के नवगीत संग्रह "जहाँ दरक कर गिरा समय भी" पर डा० जगदीश व्योम ने समीक्षा प्रस्तुत की, रामशंकर वर्मा के नवगीत संग्रह "चार दिन फागुन के" पर मधुकर अष्ठाना ने समीक्षा प्रस्तुत की, रामकिशोर दाहिया के नवगीत संग्रह "अल्लाखोह मची" पर संजीव वर्मा सलिल द्वारा तथा विनय मिश्र के नवगीत संग्रह "समय की आँख नम है" पर मालिनी गौतम द्वारा समीक्षा प्रस्तुत की गई। इस सत्र में चार नवगीत संग्रहों- "अल्लाखोह मची"- रामकिशोर दाहिया, "झील अनबुझी प्यास की" - डा० रामसनेही लाल शर्मा यायावर, "चार दिन फागुन के" - रामशंकर वर्मा तथा "कागज की नाव" - राजेन्द्र वर्मा, का लोकार्पण किया गया। सत्र के बाद सभी का सामूहिक चित्र लिया गया।
छठे सत्र में नवगीतकारों को अभिव्यक्ति विश्वम् के नवांकुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जाता है, जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। पुरस्कार में ११,००० भारतीय रुपये, एक स्मृति चिह्न और प्रमाणपत्र प्रदान किये जाते हैं। आयोजन में २०१५ का नवांकुर पुरस्कार संजीव वर्मा सलिल को तथा २०१४ का नवांकुर पुरस्कार ओमप्रकाश तिवारी को प्रदान किया गया। ओम प्रकाश तिवारी ने अनुपस्थित रहने के कारण यह पुरस्कार एक सप्ताह बाद ग्रहण किया जबकि कल्पना रामानी ने पिछले साल अनुपस्थित रहने के कारण २०१२ का स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र इस वर्ष ग्रहण किया।
पुरस्कार वितरण के बाद कवित सम्मेलन सत्र की विशिष्ट अतिथि डॉ. उषा उपाध्याय ने अपने गुजराती गीतों के हिंदी अनुवाद के साथ साथ एक मूल रचना का भी पाठ किया। गीत की लय कथ्य ने सभी उपस्थित रचनाकारों को आनंदित किया। इसके बाद सभी उपस्थित रचनाकारों ने अपने एक एक नवगीत का पाठ किया। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख रचनाकार थे- लखनऊ से संध्या सिंह, आभा खरे, राजेन्द्र वर्मा, डंडा लखनवी, डॉ. प्रदीप शुक्ल, रंजना गुप्ता, चन्द्रभाल सुकुमार, राजेन्द्रशुक्ल राज, अशोक शर्मा, डॉ. अनिल मिश्र, निर्मल शुक्ल, महेन्द्र भीष्म, मधुकर अष्ठाना और रामशंकर वर्मा, कानपुर से मधु प्रधान और शरद सक्सेना, छिंदवाड़ा से रोहित रूसिया और सुवर्णा दीक्षित, मीरजापुर से शुभम श्रीवास्तव ओम और गणेश गंभीर, बिजनौर से अमन चाँदुपुरी, दिल्ली से भारतेन्दु मिश्र और राधेश्याम बंधु, नॉयडा से डॉ जगदीश व्योम और भावना तिवारी, संतनगर गुजरात से मालिनी गौतम, गाजियाबाद से वेदप्रकाश शर्मा वेद और योगेन्द्रदत्त शर्मा, वर्धा से शशि पुरवार, मुंबई से कल्पना रामानी, कटनी से रामकिशोर दाहिया, खटीमा से रावेंद्रकुमार रवि, जबलपुर से संजीव वर्मा सलिल, इंदौर से गीतिका वेदिका, फीरोजाबाद से डॉ. राम सनेहीलाल शर्मा यायावर, मुजफ्फरपुर से डॉ. रणजीत पटेल, शारजाह से पूर्णिमा वर्मन, होशंगाबाद से डॉ विनोद निगम आदि। विभिन्न सत्रों का संचालन डा० जगदीश व्योम तथा रोहित रूसिया ने किया। अन्त में पूर्णिमा वर्मन तथा प्रवीण सक्सेना ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
पुरस्कार वितरण के बाद कवित सम्मेलन सत्र की विशिष्ट अतिथि डॉ. उषा उपाध्याय ने अपने गुजराती गीतों के हिंदी अनुवाद के साथ साथ एक मूल रचना का भी पाठ किया। गीत की लय कथ्य ने सभी उपस्थित रचनाकारों को आनंदित किया। इसके बाद सभी उपस्थित रचनाकारों ने अपने एक एक नवगीत का पाठ किया। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख रचनाकार थे- लखनऊ से संध्या सिंह, आभा खरे, राजेन्द्र वर्मा, डंडा लखनवी, डॉ. प्रदीप शुक्ल, रंजना गुप्ता, चन्द्रभाल सुकुमार, राजेन्द्रशुक्ल राज, अशोक शर्मा, डॉ. अनिल मिश्र, निर्मल शुक्ल, महेन्द्र भीष्म, मधुकर अष्ठाना और रामशंकर वर्मा, कानपुर से मधु प्रधान और शरद सक्सेना, छिंदवाड़ा से रोहित रूसिया और सुवर्णा दीक्षित, मीरजापुर से शुभम श्रीवास्तव ओम और गणेश गंभीर, बिजनौर से अमन चाँदुपुरी, दिल्ली से भारतेन्दु मिश्र और राधेश्याम बंधु, नॉयडा से डॉ जगदीश व्योम और भावना तिवारी, संतनगर गुजरात से मालिनी गौतम, गाजियाबाद से वेदप्रकाश शर्मा वेद और योगेन्द्रदत्त शर्मा, वर्धा से शशि पुरवार, मुंबई से कल्पना रामानी, कटनी से रामकिशोर दाहिया, खटीमा से रावेंद्रकुमार रवि, जबलपुर से संजीव वर्मा सलिल, इंदौर से गीतिका वेदिका, फीरोजाबाद से डॉ. राम सनेहीलाल शर्मा यायावर, मुजफ्फरपुर से डॉ. रणजीत पटेल, शारजाह से पूर्णिमा वर्मन, होशंगाबाद से डॉ विनोद निगम आदि। विभिन्न सत्रों का संचालन डा० जगदीश व्योम तथा रोहित रूसिया ने किया। अन्त में पूर्णिमा वर्मन तथा प्रवीण सक्सेना ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
10 टिप्पणियां:
अत्यंत सुंदर और सधे हुए शब्दों में महोत्सव की विस्तृत जानकारी दी गई है। सभी यादें पुनः ताजा हो गईं।
आप ही इतनी महत्वपूर्ण रपट लिखने में सक्षम थीं। बहुत-बहुत बधाई आपको और विशेष शुभकामनाएँ भविष्य की सफलताओं के लिए ... ... .
सफल आयोजन की बधाई । सुन्दर रपट।
'नवगीत महोत्सव 'यानी वैचारिकता और सृजनात्मकता की उर्वर भूमि ...आपको पुनः बधाई और शुभकामनाएँ |
- उषा उपाध्याय
नवगीत महोत्सव एक अनुभूति,विचारों की गहन अभिव्यक्ति, अप्रतिम अनुभव। ........ कार्यक्रम की सफलता हेतु हार्दिक बधाई सभी यादें पुनः ताजा हो गईं।
हार्दिक बधाई
सम्पूर्ण महोत्सव को रूबरू कराती प्रासंगिकता से परिपूर्ण रपट ने मानो साक्षात्कार करा दिया हो।साथ में दिए गए चित्रों ने इसे सजीव कर दिया।वर्ष 2014 से उत्तरोत्तर प्रगति करता यह समारोह पूर्ण उच्चता प्राप्त कर पूर्ण हुआ। सभी सम्मिलित विद्वज्जन समारोह को गौरवान्वित करते प्रतीत हुए। आदरणीया पूर्णिमा वर्मन जी को इस अनुपम सफल आयोजन हेतु हार्दिक साधुवाद। एवम् आगामी कार्यक्रमों हेतु शुभकामनायें।
*हरिवल्लभ शर्मा भोपाल
आप सभी आदरणीय रचनाकारो को हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाएँ......
शायद अबतक किसी ने छोटे-बड़े रचनाकार को आपके जैसा तरजीह दी हो।हार्दिक बधाई!
रणजीत पटेल
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